नजरिये का फर्क-
एक दिन एक अमीर व्यक्ति जो गाँव का जमीदार था अपने बेटे को अपने गाँव की यात्रा पर ले गया , वह अपने बेटे को यह बताना चाहता था वे कितने अमीर और भाग्यशाली है जबकि गाँवों के लोग कितने गरीब है , उन्होंने कुछ दिन एक गरीब के खेत पर बिताए और फिर अपने घर वापस लौट गए !
एक दिन एक अमीर व्यक्ति जो गाँव का जमीदार था अपने बेटे को अपने गाँव की यात्रा पर ले गया , वह अपने बेटे को यह बताना चाहता था वे कितने अमीर और भाग्यशाली है जबकि गाँवों के लोग कितने गरीब है , उन्होंने कुछ दिन एक गरीब के खेत पर बिताए और फिर अपने घर वापस लौट गए !
घर लौटते वक्त रास्ते में उस अमीर व्यक्ति ने अपने बेटे को पूछा – “तुमने देखा लोग कितने गरीब है और वे कैसा जीवन जीते है??!
बेटे ने कहा – “हां मैंने देखा” “हमारे पास एक छोटा सा स्वीमिंग पूल है और उनके पास एक पूरी नदी है” “हमारे पास एक कुता है और उनके पास चार है”!
“हमारा एक छोटा सा परिवार है जिसमें पांच लोग है, जबकि उनका पूरा गाँव, उनका परिवार है” “हम अपना खाना बाज़ार से खरीदते है जबकि वे अपना खाना खुद अपने खेत में उगाते है” “हमारे पास रात को जलाने के लिए विदेशों से मंगाई हुई कुछ महँगी लालटेन है और उनके पास रात को चमकने वाले अरबों तारें है”!
“हमारे पास खुली हवा में घूमने के लिए एक छोटा सा गार्डन है और उनके पास पूरी धरती है जो कभी समाप्त नहीं होती” “हमारी रक्षा करने के लिए हमारे घर के चारों तरफ बड़ी बड़ी दीवारें है और उनकी रक्षा करने के लिए उनके पास अच्छे-अच्छे दोस्त है”!
अपने बेटे की बाते सुनकर अमीर व्यक्ति कुछ बोल नहीं पा रहा था , बेटे ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा – “धन्यवाद पिताजी, मुझे यह बताने के लिए की हम कितने गरीब है”!
कहानी का सार – दोनों जगह चीजे समान है और स्थिति भी समान पर जो अलग है वो चीजो को देखने का नजरिया , एक व्यक्ति अगर उसे नकारात्मक भाव से देखता है और वही दूसरी ओर एक व्यक्ति उसी चीजो को सकारात्मक भाव से देखता है नजरिये का फर्क!
कहानी से सिख – यह हमारे ऊपर है की हम चीजो को किस नजरिये से देखते है ! और कहा जाता है की जिसकी जैसी सोच होती है वह अपने जीवन में केवल उन्ही कामो को कर पाता है !!
और स्टोरी पढ़े –
- बुद्धि का बल हिन्दी कहानी
- जैसी करनी वैसी भरनी
- इंतिजार का फल मौत – Motivational Story
- प्रेरक प्रसंग – जमी हुई नदी
- गुजरा हुआ वक्त दोबारा नहीं आता
- Hindi Story – नजरिये का फर्क
- महात्मा बुद्ध की अनोखी कहानी