भगवान् बुद्ध की कहानी Bhagvan budhh ki kahani | “अनूठी सीख”

भगवान् बुद्ध की कहानी “अनूठी सीख”

कई बार हम अपने जीवन में उन सब चीजो का उपयोग तो करते है उनसे लाभ तो लेते है, पर कभी भी उसका शुक्रियादा नही करते. और हमारी यह आदत हमें अनैतिकता की और  ले जाता है और हमारे विचारो में इसका गलत प्रभाव भोई पड़ता है. भगवान् बुद्ध की इस “अनूठी सीख” की कहानी से हम जानेंगे की किस तरह हमें मिल रही चीजो के लिए  विनम्र रहना चाहिए –

एक बार की बात हैं भगवान् बुद्ध एक दिन धर्म का संदेश देते हुए गाँव की ओर जा रहे थे। रास्ते में विश्राम के लिए वे एक सुंदर तालाब के किनारे वृक्ष के नीचे बैठ गए। तभी उन्होंने देखा की तालाब में सुंदर कमल के पुष्प खिले थे। विभिन्न रंगों के कमल पुष्पों की अनूठी छटा देखकर वे अभिभूत हो उठे तथा तालाब के जल में उत्तर पड़े।

कमल की अनूठी सुगंध का सेवन कर सुध-बुध खो बैठे। सुगंध से तृप्त होकर जैसे ही वे जलाशय से बाहर निकले कि देवकन्या की वाणी उन्हें सुनाई दी, ‘महात्मन्, तुम बिना कुछ दिए इन पुष्पों की सुरभि का सेवन करते रहे। यह चौर-कर्म है।’

भगवान् बुद्ध ने ये शब्द सुने, तो हतप्रभ खड़े रहे। तभी उसी वक्त उसी तालाब में अचानक एक व्यक्ति ने तालाब में प्रवेश किया तथा कमल तोड़ने लगा। देवकन्या उसे कमल तोड़ते देखती रही। भगवान् बुद्ध ने कहा, ‘देवी, मैंने तो केवल गंध का ही सेवन किया था, पुष्प का स्पर्श भी नहीं किया था, तुमने मुझे चोर कह दिया।

यह निर्दयता के साथ फूलों को तोड़कर किनारे फेंक रहा है। तुम इसे क्यों नहीं रोक रही?’ देवकन्या ने कहा, ‘भगवन्, सांसारिक मानव अपने लाभ के लिए धर्म-अधर्म में भेद नहीं कर पाता। ऐसा अज्ञानी व्यक्ति क्षम्य है, किंतु जिसका अवतार धर्म प्रचार के लिए हुआ है, उसे तो प्रत्येक कृत्य के उचित अनुचित का विचार करना चाहिए।”

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भगवान् बुद्ध समझ गए कि यह देवकन्या साधारण नहीं है। वे श्रद्धा से उसे प्रणाम कर आगे बढ़ गए। उन्होंने शिष्यों से कहा, ‘यदि वृक्ष के नीचे पड़े फल को प्राप्त करने की लालसा हो, तो वृक्ष के प्रति आभार व्यक्त करने के बाद ही उसे ग्रहण करना चाहिए।’

भगवान् बुद्ध की कहानी “अनूठी शिक्षा”कहानी से शिक्षा:- इस कहानी में भगवान् बुद्ध उन देवकन्या की बातो को मानते हुए उनसे क्षमा की मांग कर हमें यह बताना चाहां की जब भी हमें जिवन में कोई सिख दे जाय तो उनका हमेशा शुक्रिया करें और उनका भी धन्यवाद करें जो आपकी इन सुविधायो और खुशियो का कारण है, हम कई बार अपने माता-पिटा का आदर नहीं  कर पाते जबकि उनकी ही वजह से आज हम इस जगह में है.

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