जीवन की कड़वी बातें | कड़वी मगर सच्ची बातें | जीवन की कड़वी सच्चाई
कडवी बातें बिल्कुल उन कडवी दवाईयों की तरह होती है जो, स्वाद में तो कडवी होती हैं पर वही कडवी दवाई हमे स्वास्थ करती हैं, हमें बीमार होने से बचाती हैं. कुछ ऐसे ही कडवी बातें जो हमारे जीवन में ऐसे ही दवाइयों की तरह असर करता हैं. आज उन्ही कुछ कडवी बातो को हम जानेंगे.
जीवन की कड़वी सच्चाई | bitter things of life –
- सुखी रहना है तो अपनी नजर किसी हवेली पर नहीं गरीब की झोंपड़ी पर रखिए ।
- झोंपड़ी वाला अपनी नजर फुटपाथ पर रखे और फुटपाथ वाला किसी अंधे-लंगड़े पर ।
- अपने से छोटे पर नजर रखोगे तो बड़े सुख भोगोगे और बड़े पर नजर रखी कि गये काम से ।
- पड़ोसी का पांच मंजिला मकान क्यों देखते हो? ऊपर की ओर देखने से आँखों पर जोर पड़ेगा,गर्दन भी दुखेगी और दिल भी । फिर सुख की घड़ियां कितनी जल्दी बीत जाती हैं जबकि दुःख की रातें काटे नहीं कटतीं ।
- पत्नी के संग रात कब गुजर जाती है, पता नहीं चलता और मुर्दे के संग रात गुजारना पड़े तो… ।
आज के आदमी की जिंदगी कैसी हैं ?
- आज के आदमी की जिंदगी यंत्रवत चल रही है। सुबह 8 बजे का मतलब ब्रेक फास्ट, 2 बजे का मतलब लंच, रात 10 बजे का मतलब डिनर और 12 बजे का मतलब बिस्तर ।
- सोमवार का मतलब मीटिंग और ईटिंग ।
- गलवार का मतलब लेना और देना । बु
- धवार का मतलब काम और काम गुरुवार का मतलब पेट भरो, पेटी भरो ।
- शुक्रवार का मतलब पिओ और पीने दो ।
- शनिवार का मतलब खूब खाना-खूब सोना और रविवार का मतलब बस ! टीवी और बीवी । बाकि दुनिया जाये… । यह जीने का सही ढंग तो न हुआ ।
- कैसी चीजे जो कभी टिकती नहीं हैं ?
- चार चीजें हैं जो कभी टिकती नहीं हैं –
- एक, फकीर के हाथ में धन । दो, चलनी में पानी । तीन, श्रावक का मन और चार, संत-मुनि के पैर ।
- चार चीजें हैं, जो कभी भरती नहीं है । एक – गांव का श्मशान । दो – लोभ का गड्ढा । तीन पानी का समुद्र और चार – मनुष्य का मन ।
- अंग्रेजी के दो शब्द हैं and और end. and का अर्थ और । थोड़ा है, थोड़ा और चाहिए। जबकि end का अर्थ है – बस !अब और नहीं । and संसार है और end संन्यास है ।
एक बार की बात हैं नसरुद्दीन दिल्ली जा रहा था ।
दोस्तों ने कहा जरा संभल कर रहना । वहां हर चीज के दुगने दाम बताये जाते हैं । दिल्ली पहुँचा, घूमा-फिरा, खाया – पिया, छाता लेने एक दुकान पर गया । पूछा – भाई! छतरी का क्या दाम है ?
दुकानदार ने कहा – 100 रुपये । नसरुद्दीन को दोस्तों की बात याद आई, ‘हर चीज के दुगने दाम ।’ … बोला – 50 में दोगे? दुकानदार बोला – 80 में दूंगा ।
नसरुद्दीन 40 में लूंगा। दुकानदार- अच्छा ! में न मेरी न तेरी 60 में । नसरुद्दीन – मैं तो 30 दूंगा । अब तो दुकानदार चिढ़ गया और गुस्से में बोला – मुफ्त में ले लो । नसरुद्दीन ने कहा – बड़े मियाँ! तब तो एक नहीं, दो लूंगा । आदमी का मन भी ऐसा ही है। थोड़ा लाभ हो तो लोभ और बढ़ जाता है ।
धनी कौन है ?
क्या वह जिसके पास सोने-चाँदी, हीरे-जवाहरात हैं ? नहीं। धनवान वह है जो जिस हाल में भी हो, पूर्ण संतोष में जीता है। फिर दरिद्र कौन है ? क्या वह जो निर्धन है ? जिसके पास पैसे नहीं हैं ? नहीं ! दरिद्र वह है जिसकी तृष्णा अधिक है। यहां धन से गरीब लोग कम मन से गरीब लोग ज्यादा हैं। गरीब वह तो है ही कि जिसके पास खाने-पीने को नहीं है मगर वह उससे भी बड़ा गरीब है जिसके पास खाने-पीने की तो बेशुमार सामग्री है पर मन पसंद का कुछ भी खा-पी नहीं सकता, क्योंकि डॉक्टर ने मना किया हुआ है।