Buddh stories in hindi कल्याण मित्र – भगवान बुद्ध की प्रेरक

Buddh stories in hindi
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Buddh stories in hindi : कल्याण मित्र भगवान बुद्ध की प्रेरक कहानी

कल्याण मित्र

आज एक और नयी प्रेरक और ज्ञानवर्धक भगवान बुद्ध की लेकर आये हैं दोस्तों गौतम बुद्ध (563 ईसा पूर्व–483 ईसा पूर्व) को महात्मा बुद्ध, भगवान बुद्ध, सिद्धार्थ व शाक्यमुनि नाम से भी जाना जाता है ।

आज के भगवान बुद्ध की प्रेरक कहानी के का टॉपिक – कल्याण मित्र
कहानी छोटी हैं मगर बहुत कुछ सिखा सकती हैं इसलिए आशा करते हाँ आप इसे पूरा जरुर पढेंगे तो चलिए अब शुरू करते हैं इस बेहतरीन कहानी को –

Stories of Lord Buddha (गौतम बुद्ध की कहानियां)

भगवान बुद्ध देव और मनुष्यों के शास्ता थे, परन्तु सबसे पहले वह मनुष्य थे। मनुष्य बढ़कर देवता बनता है, यह प्राचीन मान्यता थी, आज भी हम मनुष्यत्व के ऊपर देवत्तव की बात करते है, परन्तु बुद्ध ने इस क्रम को पलट दिया। उन्होंने कहा,

“यह जो मनुष्यता है, वही देवताओं का सुगति प्राप्त करना कहलाती है।”

देवता जब सुगति प्राप्त करता है, तब वह मनुष्य बनता है। देवताओं में विलास है, राग, द्वेष,ईर्ष्या और मोह भी वहां है। निर्वाण की साधना वहां नहीं हो सकती। इसके लिए देवताओं को मनुष्य बनना पड़ता है। मनुष्यों में ही देव पुरुष का आविर्भाव होता है, जिनको देवता नमस्कार करते है। मानवता धर्म का उपदेश देने वाले बुद्ध स्वयं मानवता के जीते जागते रुप थे। यहां उनके जीवन से संबंधित कुद प्रसंग दिये जाते हैं, जिनसे उनके व्यक्तित्व में बैठी हुई गहरी मानवता का दर्शन होता है।

भगवान का परिनिर्वाण होने वाला है। रात का पिछला पहर है। भिक्षु उनकी शैया को घेरे बैठे हैं। बुद्ध उन्हें उपदेश दे रहे हैं।

कह रहे हैं,

“भिक्षुओ, बुद्ध धर्म और संघ के विषय में कुछ शंका हो तो पूछ लो, पीछे मलाल मत करना कि भगवान हमारे सामने थे, पर हम उनसे कुछ पूछ न सके।”

कोई शिष्य नहीं बोलता। भगवान तीन बार कहते हैं, पर कोई भिक्षु कुछ पूछने को नहीं उठता। भगवान को शंका होती है कि कहीं वे उनके गौरव का विचार करके पूछने में संकोच तो नहीं कर रहे! इसलिए वह कहते हैं,

“शायद भिक्षुओं, तुम मेरे गौरव के कारण नहीं पूछ रहे। जैसे मित्र मित्र से पूछता है, वैसे तुम मुझसे पूछो।”

बुद्ध अपने शिष्यों की समान भूमिका पर आ जाते है। उनकी यह विनम्रता। मनुष्य-धर्म की आधर-भूमि है। बुद्ध ने अपने को भिक्षुओं का ‘कल्याण मित्र’ कहा है, जो उनकी मानवीय सहदयता और विनम्रता को सूचित करता है।

एक दूसरा दृश्य भी उसी समय का है। चन्द कर्मारपुत्र के यहां बुद्ध ने अंतिम भोजन किया था। उसके बाद ही उन्हें खून गिरने की कड़ी बीमारी हो गई थी, जो उनके शरीरांत का कारण बनी। बुद्ध को उसके ह्रदय का बड़ा ध्यान था। भक्त उपासक को यह अफसोस हो सकता था कि उसका भोजन करके ही भगवान का शरीर छूट गया। इसलिए आखिरी सांस लेने से पहले उन्होंने आनंद को आदेश दिया,

“आनंद, चन्द कर्मारपुत्र की इस चिन्ता को दूर करना और कहना, आयुष्मन तूने बड़ा लाभ कमाया कि मेरे भोजन को करके तथागत परिनिर्वाण को प्राप्त हुए।”

जिसके ह्रदय में अगाध करुणा थी, वह ऐसा क्यों न कहता?

https://www.youtube.com/watch?v=84pHTZjZjSw

गौतम बुद्ध की कहानियां (Stories of Lord Buddha)

भगवान बुद्ध की इस प्रेरक कहानि को मैंने बचपन में सुना था इसलिए आज इसे मैंने आप लोगो के साथ शेयर किया हैं | आशा करता हु की आपको यह कहानी पसंद आई होगी |

गौतम बुद्ध की कहानियां (buddh stories in hindi) की इस पोस्ट में महात्मा गौतम बुद्ध से सम्बन्धित 7 प्रेरक और शिक्षाप्रद कहानियां हैं, जिसका सार जिंदगी का बदल सकता हैं |

गौतम बुद्ध की कहानियां(gautam buddha stories in hindi) की इस पोस्ट में आपको अपने जीवन को किर्थार्थ करने वाली जानकारी मिली हो तो कमेंट सेक्शन में अपने विचार जरूर शेयर करना.

महात्मा बुद्ध और ज्ञानवर्धक कहानी के लिंक निचे दिए गए हैं आप इन्हें भी जरुर पढ़ें –

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