बाय वन गेट वन फ्री | Diwali Hindi story

बाय वन गेट वन फ्री | Diwali Hindi story 

‘अजय जल्दी तैयार हो जाओ, तुम्हारे लिए नई ड्रेस लेना है दिवाली पर पहनने के लिए। मम्मी की बात अनसुनी कर अजय अपने मित्र दीनू के साथ खेलने में व्यस्त था। ‘अजय सुनाई दिया मैं क्या कह रही हूं।

अजय -‘ ‘जी मम्मी, मैं अभी तैयार होता हूं।’ दीन, जो काम करने वाली बाई का बेटा है, की ओर मुंह कर के बोला- ‘मैं आ जाऊं, फिर खेलेंगे।’ मां-बेटा बाजार की ओर रवाना हो गए। राह में अजय बोला ‘मम्मी एक ड्रेस दीनू के लिए भी लेंगे ना।

मम्मी – ‘ ‘मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि अब तुम्हारे दीनू के लिए भी ड्रेस लेकर दूं।’ मम्मी का गुस्सा देखकर अजय सहम गया। कपड़ों की दुकान में मम्मी अजय के लिए ड्रेस देखने लगीं। “बेटा देखो तुम्हें यह ड्रेस पसंद है?’ ‘नहीं मम्मी मै यह वाली ड्रेस लूंगा।’ मम्मी ने देखा उस रैक में ‘बाय वन गेट वन फ्री’ का टैग लगा था। ‘मैं यही ड्रेस लूंगा, एक ड्रेस के साथ एक और ड्रेस फ्री आ जाएगी।

‘ यम्मी को अजय की जिद के सामने झुकना पड़ा। एक ड्रेस की कीमत में दो ड्रेस आ गई।

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मम्मी ने कहा– ‘मैं तो तुम्हें इससे अच्छी और महंगी ड्रेस लेकर दे रही थी, तुम दो के चक्कर में पड़ गए।

अजय बड़े ही मासूमियत से बोला – ‘ ‘मम्मी इसमें से एक ड्रेस दीनू को दे देंगे, वह भी दिवाली में नई ड्रेस पहनेगा और आपके पैसे भी नहीं लगे।’ अब मम्मी को बाय वन गेट वन फ्री का रहस्य समझ आ गया। वह भरे गले से केवल इतना ही बोल पाई, ‘सच में, दिवाली की खुशियां केवल अपने आप के लिए नहीं होती हैं। वो तो बांटने के लिए होती है।’

बाय वन गेट वन फ्री कहानी से सिख – 

इस कहानी में हमें अजय और दीनू के माध्यम हमें यह शिक्षा देने की कोशीस की गयी हैं की यदि हम अपनी ख़ुशी के पिटारे से किसी को थोड़ी ख़ुशी दे दे तो उनके चेहरे की मुस्कान हमें कई गुना खुशिया वापस दे सकती हैं.

कोशिस करें की दिवाली में ऐसे लोगो की मदद करने की जो किसी कारणवश दिवाली जैसे बड़े और महान पर्व को नहीं मना पाते “खुशियाँ बाटने से बढती हैं”

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