जैसी करनी वैसी भरनी हिंदी कहानी
दोस्तो अक्सर आपने भी कुछ लोगों को हमेशा परेशान रहते देखा होगा। वे किस बात से परेशान है, इस बात का अंदाजा लगाना भी बहुत कठिन होता है क्योंकि वे अपनी चिंता अपनी परेशानी दूसरे से साझा भी नहीं करते हैं। दरअसल आदमी जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल उसे प्राप्त होता है।
चलिए इस बात को हम आपको एक छोटी सी कहानी के माध्यम से बताते हैं :
यह बात उन दिनों की है जब। एक गांव में राम और श्याम नाम के दो किसान रहते थे। वे दोनों खेती के साथ-साथ बागवानी भी किया करते थे।
किसान राम ने अपने बाग में आम उगाए थे, तो दूसरी ओर किसान श्याम ने लीची उगाए थे। फलों के मौसम में उन दोनों के बाग में अच्छी पैदावार हुई, तो वे दोनों किसान राम और श्याम अपने-अपने फल बाजार में बेचने के लिए गए।
समान की बिक्री कर के बाजार से लौटते समय उन दोनों ने अपने लिए दो-दो किलो फल बचा लिए थे।
वापस लौटते समय राम और श्याम दोनों रास्ते में मिले। दोनों आपस मे बातें करने लग गए।
आम वाला किसान राम बोला- मैंने थोड़े फल बचा तो लिए, लेकिन इस बार खूब अच्छी फसल हुई, हम लोगों ने खूब आम खाए। अब खाने का बिल्कुल भी मन नहीं है।
लीची वाले किसान श्याम ने भी कहा – बस यही हाल मेरा भी रहा। इस बार लीची की अच्छी पैदावार हुई है। अब दोनों ने आपस मे यह फैसला किया कि दोनों आपस में फल बदल लेते हैं।
आम वाले ने लीची ले ली और लीची वाले किसान ने आम, लेकिन आम वाला किसान राम बहुत लालची था। उसने दूसरे किसान से नजर बचाकर कुछ आम अपने लिए बचाकर रख लिए।
वहीं दूसरी ओर, लीची वाला किसान श्याम आम पाकर बहुत खुश हुआ। वे दोनों अपने घर चले गए। घर जाकर लीची वाले किसान ने पूरे परिवार को आम खिलाए और उसे बड़ी अच्छी नींद आई। लेकिन..
आम वाला किसान रात भर शंका में जागता रहा। उसे यह लग रहा था कि उसकी तरह लीची वाले किसान ने कुछ लीचियां छुपाकर तो नहीं रख ली हैं। वह उस रात बहुत परेशान रहा।
कहानी से शिक्षा –
इस कहानी में फलों के माध्यम से इंसान के जीवन में घटने वाली घटनाएं दुख एवं सुख की घड़ियों को बताया गया है कि कैसे एक इंसान निस्वार्थ भाव से अपनी मन की भावनाओं का साझा करता है लेकिन वहीं दूसरी ओर एक इंसान अपनी उन चीजों को छुपाता फिरता है जो वह दूसरों को बता कर अपने दुख के बोझों को हल्का कर सकता था , कहने का अर्थ बस यही है कि इंसान जैसा कर्म करता है वैसा ही फल पाता है !