अपने आपको कैसे पहचाने (how to know yourself)
अपने आपको कैसे पहचाने यह सवाल सफल होने के लिए अपने आपसे पूछना बहुत जरूरी हैं.वैसे तो अपने आपको पहचानने का पहला पडाव स्वयं को समझना होता हैं. और जो व्यक्ति अपने आपको समझने और पहचानने में सफल हो जाता हैं, उसे एक सफल व्यक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता.
आप जरा सोच कर देखें की, जब आपको कोई चीज अच्छे से पता होती हैं तभी आप उस काम को बेहतर तरीके से कर पाते हैं. अपने आपको कैसे पहचाने इस सवाल के जवाब जानना भी जीवन में सफल होने के लिए बहुत मायने रखती हैं.
01. अंदर की आवाज को पहचाने(recognize the inner voice):-
अपने आपको पहचाने के लिए सबसे पहले अपने अंदर की आवाज को सुनना होगा.जिस प्रकार एक छोटे से बीज में बड़ी-बड़ी संभावनायें छिपी होती हैं, उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर भी अनन्त संभावनायें विद्यमान होती हैं. बस संकल्प रूपी बीज को आत्म-विश्वास की जमीन में सकारात्मक सोच के साथ रोपते हुए श्रम की बूंदों से सीचने की आवश्यकता होती है.
जिस बिज को लगाया जा चुका हैं, उसका पौधा भी बनेगा और विशाल वृक्ष भी बनेगा. भूल जाइए कि आप कम पढ़े-लिखे हैं या तकनीकी शिक्षा प्राप्त नहीं हैं.
02.आगे बढ़ते रहने की आदत(habit of moving forward):-
अपने आपको पहचाने के लिए आपको अपने रास्तो पर हमेशा आगे बढ़ते रहना होगा. जरा हिसाब तो लगाइए कि अब तक अपनी लाइफ में आपने कितनी चीजो को हाशिल की हैं. जब आप यहाँ तक आ पहुँचे हैं, तब आगे बढ़ते रहने में कौनसी कठिनाई हैं ? याद रखें, आपकी क्षमताओं का आकलन आपके अलावा कोई दूसरा नहीं कर सकता.
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03. अपने कारण को पहचाने(know your reason):-
अपने आपको पहचानने से पहले याद रहे, सफलता आपके कारण है, सफलता के कारण आप नहीं हैं. अपने आपको जानना, सुनना और मानना ही सबसे बड़ी सफलता है. जब तक अविश्वास और आशंकाएं हैं, तब तक अपने आपको पहचानना जरा कठिन ही है. अपने आन्तरिक संचार-तन्त्र को पहचानिए, सही वक्त पर सही संदेश प्राप्त करने की आदत डालिए और इसके लिए आपको ध्यान के माध्यम से अपने भीतर उतरना होगा.
04. अपने आपको अलग समझे(consider yourself different):-
यह किसने कह दिया कि आप एक ‘साधारण’ व्यक्ति हैं, यहाँ हर व्यक्ति ‘असाधारण’ ही होता है. वस्तुतः मनुष्य-जन्म ही अपने आपमें एक अद्भुत एवम् असाधारण घटना है. किन्तु दुर्भाग्यवश तथाकथित साधु-सन्त और धर्म के ठेकेदार अपने अतिरिक्त अन्य सभी को साधारण श्रेणी में रखते हैं और ‘असाधारण’ होने के लिए अपनी शरण में आने की शर्त रखते हैं. ऐसे चालाक लोगों से अपने आपको बचाइए. याद रखिए, एक मशीन पचास साधारण व्यक्तियों का कार्य कर सकती है, किन्तु पचास मशीनें मिलकर भी एक ‘असाधारण व्यक्ति का कार्य नहीं कर सकतीं.
05. दुशरो से तुलना क्यों करना(why compare with others):-.
जब बनाने वाले ने आपको एक परिपूर्ण एवम् सबसे अलग कैरेक्टर दिया है, तब दूसरों से तुलना करने का आपको जरूरत ही क्या है ? जब सभी लोगो की शारीरिक अनुकृति, प्रवृत्ति, अनुभूति, यहाँ तक कि अंगूठे-अंगुलियों की छाप तक एक-दूसरे से अलग एवम् अनूठी होती हैं, तब । सौ कदम सफलता के किन्हीं दो व्यक्तियों की कार्य प्रणाली या कार्य प्रगति एक सी कैसे हो सकती है ?
06. अपने काम के प्रति ईमानदार रहें(be honest with your work):-
यह सही है कि हर व्यक्ति हर कार्य नहीं कर सकता, आयु की अल्पता एवम् संसाधनों की न्यूनता के कारण ऐसा संभव भी नहीं है. फिर भी जो कार्य आप कर रहे हैं या करना चाह रहे हैं, उसे पूरा करने के लिए आप अपना बेस्ट देने की कोशिस करें,अपने काम के प्रति हमेशा इमानदार रहे और निःस्वार्थ भाव से जो कर रहे वह करें. बहुत कुछ संभव हो सकता है.
07. इमेजिनेशन पावर को समझे(understand the power of imagination):-
अपने आपको पहचाने के लिए यह भी सही है कि जिसे आप जीवन हैं, उसे प्राप्त करने से पूर्व कल्पना के स्तर पर कई बार प्राप्त कर चुके होते हैं. इसलिए जब तक आप अपनी परिकल्पनाओं में बढ़ोतरी करते रहेंगे, तब तक सफलता दर सफलता प्राप्त करते रहेंगे. इसी तरह जहाँ आपको पहुँचना था, वहाँ तो वस्तुतः आप पहले से ही पहुँचे हुए हैं. बस जानने की देर है. पर अफसोस इस देर को आप अंधेर तक खींचे हुए हैं. याद रखें, जब जागें, तब ही सवेरा है.