सही निर्णय कैसे ले? How to take right decision?
“सही निर्णय कैसे ले” दोस्तों कई बार हमारे जीवन में सही निर्णय न ले पाना बेहद खतरनाक और परेशानी भरा हो सकता है। लंबे समय तक निर्णय न ले पाना व्यवसाय की गति भी कम कर सकता है, कर्मचारियों को निराश कर सकता है और इसके चलते आप कई सुनहरे मौके भी गंवा सकते हैं। निर्णय ना ले पाना कई लोगो की गंभीर समस्याओं में से एक होता हैं. इसलिए आपको ‘डिसिजन मेकिंग’ सीखने का निर्णय लेना होगा। अज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे की “सही निर्णय कैसे ले” और जानेंगे की कैसे इसके लिए प्रोफेशनल डिसिजन मेकिंग अप्रोच अपनाई जा सकती है।
“सही निर्णय कैसे ले” यह समझने के लिए आपको निचे आर्टिकल में बताई गयो बातों में अच्छे से ध्यान देना होगा-
TABLE OF CONTENT –
- जानिए कि निर्णय लेना कितना जरूरी है
- कौन से निर्णय बार-बार लेने होते हैं
- ‘बाइंग एन ऑप्शन’ की रणनीति अपनाएं
- अपने आपको एक डेडलाइन देने की ठाने
- निर्णय लेते समय ध्यान में रखने वाली बाते
1. जानिए कि निर्णय लेना कितना जरूरी है-
जब भी आपको कोई निर्णय लेना हो तो सबसे पहले यह सोचे की यह निर्णय लेना कितना जरूरी है। आपको कभी भी छोटे निर्णय लेने में समय नहीं लगना चाहिए। बड़े निर्णय के लिए सोचने का समय चाहिए। शोध बताते हैं कि निर्णय नहीं ले पा रहे हैं, तो सो जाइए। इससे दिमाग बेहतर काम करेगा। ह्यूमन इंट्यूशन के आधार पर लिए निर्णय के मुकाबले डेटा-एनालिटिक्स पर आधारित निर्णय ज्यादा सटीक होते हैं।
2. कौन से निर्णय बार-बार लेने होते हैं-
ऐसे निर्णय जिन्हें थोड़े अंतराल के बाद फिर लेना पड़ता है, जैसे प्राइसिंग, इन्वेन्ट्री या हायरिंग। इनके लिए एनालिटिकल अप्रोच अपनाई जा सकती है। ऐसे निर्णय में डेटा भी निकलता है और सकारात्मक नतीजों के आधार पर एक मॉडल तैयार करना संभव हो जाता है। तो ऐसी स्थिति में दोस्तों अपना प्लानिंग पहले से कर के रखें और एक निश्चित निर्णय बना कर रखें ताकि आपको बार-बार उसी निर्णय को लेने में तकलीफ ना हो।
3. ‘बाइंग एन ऑप्शन’ की रणनीति अपनाएं-
डिसिजन मेकिंग में ‘बाइंग एन ऑप्शन’ का अर्थ होता है किसी भी जरूरी निर्णय को लेने से पहले उसके बारे में पूरा ज्ञान लेना, पूरी जानकारी हासिल करना। जैसे- कंपनी खरीदें या पार्टनरशिप का विकल्प अपनाएं। या फिर कंपनी में छोटा निवेश करने के बारे में भी सोचा जा सकता है। और यह डिसीजन मेकिंग का फंडा आपको कई जगहों पर गलत निर्णय लेने से बचा सकता हैं.
4. अपने आपको एक डेडलाइन देने की ठाने-
काफी दिनों से एक निर्णय पर रुके हैं तो खुद को डेडलाइन दें। इस तरह आप कई पहलू तय कर पाएंगे। क्या डेटा और एनालिटिक्स के बारे में सोचना चाहिए? ज्यादा लोगों को शामिल करना चाहिए या मुद्दों को गहराई से जानना चाहिए या कुछ देर दिमाग को आराम देना चाहिए। देखियें जब तक हमें कोई टास्क ना दिया जाय तब तक हम अपने काम को पूरी ऊर्जा के साथ नाही करते और ना ही समय का ख्याल रखते हैं। इस लिए कोशिस करें की अपने आपको किसी निर्त्ने को लेने के लिए एक निश्चित तिथि दे और एक निर्णय ले.
5. निर्णय से पहले सलाह और विचार-
अब यह बात तो सच है की जब भी हम किसी निर्णय को लेने का प्रयाश करते हैं तो हमारे मन में यह ख्याल जरूर आतां हैं की शायद..यह करने से पहले किसी से विचार कर लेना चाहियें या किसी को पुच लेना चाहिए. और कई बार कसी से विचार विमर्श करना सही भी होता हैं। हम कई बार गलत निर्णय लेते-लेते बचते है. तो ऐसे में यदि आपको लगता हैं की डिसीजन लेने से पहले विचार करना जरूरी हैं तो जरूर करें।
6. निर्णय लेते समय ध्यान में रखने वाली बाते–
- कभी भी गुस्से में कोई निर्णय ना ले, क्योंकि जरूरी नहीं की गुस्से में आपके द्वारा लिया गया निर्णय सही ही हो. आपका निर्णय गलत भी हो सकता हैं और ऐसे में अंत समय में हमारे हाथ पछतावा के आलावा कुछ नहीं लगता.
- निर्णय लेते वक्त अपनी काबिलियत कभी ना भूले, हमारी काबिलियत हमारी क्षमता को पहचानने में मदद करती हैं.
- छोटे-छोटे डिसीजन से सुरवात करें, और हमेशा आगे बढ़ते रहना.
- जीवन में घटने वाली हर घटनाओं को समझना और उनसे सिख कर वैसे वक्त के लिए एक प्रापर प्लानिंग करना और उसकी तैयारी भी कर के रखना.
- निर्णय लेते समय सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्षों को ध्यान में रखें और तब जा कर एक डिसीजन लेना। ऐसा करने से आप सही और गलत में फर्क भी कर सकते हैं.