पॉजिटिव सोच जरूरी है
“पॉजिटिव सोच जरूरी है “ यह बात आपने सुना होगा पर क्या ताकत है इस पॉजिटिव सोच की आज के इस छोटी सी कहानी से जरूर समझ पाएंगे, आपसे निवेदन है की कृप्या कहानी को अंत तक जरूर पढ़े-
यह कहानी है एक ऐसे इंसान की जो ऑफिस में जॉब करता था. वह अपनी जिंदगी को लेकर हमेशा फ्रस्ट्रेटेड रहता था चेहरे पर मायूसी छाई हुई रहती थी और ऑफिस के कामों की वजह से मन में भरे गुस्से को वह घर आकर अपने बच्चे पर उतारता था
जब भी किसी दोस्त का कॉल आता तो वह कॉल कट कर देता, रिश्तेदारों की कॉल आता तो बहुत गुस्से से कॉल कट कर देता और वह सोचता कि मेरी जिंदगी में अब कुछ बचा नहीं मैं बस यूं ही जी रहा हूं.
एक दिन वह व्यक्ति ऐसे ही अपने घर में बैठा हुआ था तभी उसके पास उसकी बच्ची आयी और बोली की पापा मेरी थोड़ी मदद कर दीजिए बच्चे ने कहा कि मेरी होमवर्क करा दीजिए.
लेकिन उसने बच्ची को डांट कर भगा दिया, लेकिन थोड़ी देर बाद जब उस इंसान का गुस्सा कम हुआ शांत हुआ तो उसके मन में ख्याल आया कि जाके बच्ची की मदद करनी चाहिए कि उसे किस चीज से परेशानी आ रही है उसे होमवर्क कराना चाहिए तभी वह अपनी बच्ची के कमरे में जाकर देखा तो बच्ची सो चुकी थी.
बच्ची ने अपने होमवर्क की कॉपी को अपने चेहरे पर रखकर ही होमवर्क करते हुए सो गयी थी उस व्यक्ति को लगा कि कॉपी उसके सिर से हटा देता हूं ताकि वह अच्छे से सो सकें , जब उसने वो काफी हाथ में पकड़ी और वह उसे नीचे रखने ही वाला था तभी उसने सोचा कि आखिर इस ने कॉपी में लिखा क्या है ? होमवर्क क्या है? और यह लिख क्या रही है जरा पढ़े बच्ची को ऐसा क्या होमवर्क कर रही थी कि इसे मेरी मदद चाहिए थी
जब उसने बच्चे की उस की कॉपी को देखा तो उसमें एक शीर्षक लिखा था “वह काम जो हमें शुरू में अच्छे नहीं लगते लेकिन हमें धीरे-धीरे अच्छे लगने लगते हैं” इस शीर्षक पर बच्चे को निबंध लिखनी थी जो उसका होमवर्क था. बच्चे ने पहले ही उस शीर्षक में एक पैराग्राफ लिख लिया था उसने सोचा कि चलो या पैराग्राफ पढ़ा जाए कि आखिर बच्चे नहीं इसलिए मैंने लिखा क्या है ?
बच्चे ने पहले ही लाइन में लिखा था कि-भला हो उन होने वाली परीक्षाओ का जो शुरू में आते हैं उसके बाद समर वेकेशन भी आ जाती है.
थैंक यू सो मच उन कड़वी दवाई का जो हमें शुरू में अच्छी तो नहीं लगती लेकिन हम बाद में उन्हीं की वजह से अच्छे और सेहतमंद हो जाते हैं.
थैंक यू सो मच उन सुबह बजने वाले अलार्म क्लॉक का जो शुरू में अच्छी तो नहीं लगती लेकिन उठने के बाद हम यह जान पाते हैं कि हम जिंदा हैं.
उसके अगले लाइन में लिखा था कि थैंक यू सो मच ऊपर वाले का जिसकी वजह से मेरे पापा मेरी जिंदगी में आए.मेरे पापा जो मुझे शुरू में तो डांटते हैं मगर बाद में मुझे घुमाने भी ले जाते हैं घुमाने के साथ-साथ मुझे खाना खिलाते हैं मुझे खिलौने भी दिलाते है.
थैंक यू सो मच की आपने मेरे पापा को मेरी जिन्दगी में भेजा मेरे पास मेरे पापा है क्योंकि मेरे दोस्तनिधि की तो पापा ही नहीं है. और इन्ही आखिरी के कुछ लाइनों ने उस व्यक्ति को अन्दर से झकझोर दिया और उसकी आखे खुल गयी.
और वह सोचने लगा कि मेरी लाइफ में ऐसी क्या चीज है जिसे मैं मिस कर रहा हूं उस बच्चे के कॉपी में लिखें निबंध को वह व्यक्ति बड़बड़ाने लगा कि-
हे ईश्वर धन्यवाद आपका की मेरे पास घर है, कइयों के पास तो घर भी नही है क्या हुआ मैं EMI चुका रहा हु कम से कम मेरे पास घर तो है.
आपका शुक्र है ऊपर वाले मेरे पास परिवार है, कइ लोग तो जिंदगी भर अकेले रह जाते है.
धन्यवाद, ऊपर वाले कि आपकी वजह से मेरे पास ऑफिस है ऑफिस के काम है, क्या हुआ थोड़ा प्रेशर रहता है तो काम तो है करने को कइयों का पास तो आज नौकरी तक नही.
और फिर क्या है बच्ची की कॉपी में लिखे उस निबंध के कुछ ही लाइनों ने उसे जीवन का असली महत्त्व बता दिया उसे अब पता चल चुका था की हम उन चीजो पर ध्यान नहीं दे पते हम उन चीजो का महत्त्व नही समझ सकते जो हमारे पास है बल्कि इसके विपरीत हम उन चीजो की कमी महशुस करते है जो हमारे पास नहीं है.