खुशी कहा हैं – प्रेरक कहानी
दोस्तों कई बार ऐसा होता हैं की हमारे पास साड़ी सुख सुविधाएं होती तो हैं पर हम उन चीजो से खुशी नहीं हासिल कर सकते. ऐसे में खुश रहने के लिए क्या करें हमारी जीवन में ख़ुशी कैसे आएगी, हम खुश रहने के लिए क्या करें? आज के इस प्रेरक प्रसंग में एक ऐसे आदमी की कहानी हैं जो आमिर तो है पर उसके जीवन में जरा भी खुशी नहीं हैं.
एक बार की बात हैं, एक गांव में धनी राम नमक एक जमीदार रहता था और वह बहुत ज्यादा आमिर था. लेकिन धनीराम जमीदार की केवल एक पत्नी थी ना कोई पुत्र और ना ही कोई पुत्री. उसने अपने जीवन में हर उस चीजो को हासिल किया हुआ होता हैं जो एक आदमी ऐस-आराम की जिंदगी के लिए चाहता हैं. धनीराम जमीदार के पास सब चीजें तो थी बस ख़ुशी को छोड़ कर. उसे अपने जीवन में खुश हुए बरसो बित गए थे.
एक दिन वह परेशान होकर अपने मित्र से मिलने गया और अपनी समस्यायों के बारे में बताता हैं, इतने में धनीराम जमीदार का मित्र बोलता हैं की – मै एक ऐसे बाबा को जानता हु जो तुम्हारे इस सवाल का जवाब दे सहते हैं. पर ध्यान रखना क्योकि उस बाबा का तरिका थोड़ा हट कर हैं. और फिर धनीराम अपनी जीवन भर की कमाई जो की हीरे-जवाहरात के रूप में संचय कर के रखा था उसे एक थैले में भर के निकल पड़ा.
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जमीदार धनीराम पेड़ के नीचे बैठे बाबा को अपनी परेशानी बताते हुए कहा की “ बाबा जी मेरे पास दुनिया भर की संपत्ति हैं पर..थोड़ी भी खुशी नहीं” इतने में बाबा सामने जमीदार के पास रही उसके हीरे-जवाहरात से भरी थैले को ले कर भागने लगा और इतने में जमीदार धनीराम भी बाबा के पीछे भागने लगा. बाबा ने जमीदार धनीराम को पुरे गाँव भर में भगाया और अंत में जा कर उसी पेड़ के नीचे उस थैले को रख दिए, जब जमीदार धनीराम ने अपने थैले को जब देखा तो वह बहुत खुश हुआ. और पेड़ के पीछे से बाबा झाकते हुए बोलता हैं की और कितनी खुशी चाहिए धनीराम.
खुशी कहा हैं – प्रेरक कहानी से शिक्षा:-
इस कहानी में जमीदार धनीराम के जरिये हमें बताया गया हैं की हमारे पास यदि किसी चीज की सीमितता हो जाती है तब हम उन चीजो को नहीं पा पाते जिसकी हमें चाह होती हैं या जिससे हमें ख़ुशी मिलती हैं. और साथ ही हमें इस कहानी के जरिये बताया गया हैं की पैसो से कभी भी खुशियों को नहीं खरीदा जा सकता. अमीर होना अलग बात हैं और ख़ुशी पाना लग बात हैं.
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