डर पर जीत हासिल करने की सीख देती कहानी-
सुमित और रोहित लद्दाख के एक छोटे से गाँव में रहते थे। एक बार दोनों ने फैसला किया कि वे गाँव छोड़कर शहर जायेंगे और वहीँ कुछ काम-धंधा खोजेंगे।
अगली सुबह वे अपना-अपना सामान बांधकर निकल पड़े। चलते-चलते उनके रास्ते में एक नदी पड़ी, ठण्ड अधिक होने के कारण नदी का पानी जम चुका था। जमी हुई नदी पे चलना आसान नहीं था, पाँव फिसलने पर गहरी चोट लग सकती थी।
इसलिए दोनों इधर-उधर देखने लगे कि शायद नदी पार करने के लिए कहीं कोई पुल हो! पर बहुत खोजने पर भी उन्हें कोई पुल नज़र नहीं आया।
रोहित बोला, “हमारी तो किस्मत ही खराब है, चलो वापस चलते हैं, अब गर्मियों में शहर के लिए निकलेंगे!
“नहीं”, सुमित बोला,
“नदी पार करने के बाद शहर थोड़ी दूर पर ही है और हम अभी शहर जायेंगे…”और ऐसा कह कर वो धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा।
अरे ये क्या का रहे हो….पागल हो गए हो…तुम गिर जाओगे…”रोहित चिल्लाते हुए बोल ही रहा था कि सुमित पैर फिसलने के कारण गिर पड़ा।
“कहा था ना मत जाओ..”, रोहित झल्लाते हुए बोला।
सुमित ने कोई जवाब नही दिया और उठ कर फिर आगे बढ़ने लगा एक-दो-तीन-चार….और पांचवे कदम पे वो फिर से गिर पड़ा.. रोहित लगातार उसे मना करता रहा…मत जाओ…आगे मत बढ़ो…गिर जाओगे…चोट लग जायेगी… लेकिन सुमित आगे बढ़ता रहा।
वो शुरू में दो-तीन बार गिरा ज़रूर लेकिन जल्द ही उसने बर्फ पर सावधानी से चलना सीख लिया और देखते-देखते नदी पार कर गया।
दूसरी तरफ पहुँच कर सुमित बोला, ” देखा मैंने नदी पर कर ली…और अब तुम्हारी बारी है!” “नहीं, मैं यहाँ पर सुरक्षित हूँ… लेकिन तुमने तो शहर जाने का निश्चय किया था।” “मैं ये नहीं कर सकता! *नहीं कर सकते या करना नहीं चाहते*! सुमित ने मन ही मन सोचा और शहर की तरफ आगे बढ़ गया।
जमी हुई नदी प्रसंग से शिक्षा :-
दोस्तों, हम सबकी ज़िन्दगी में कभी न कभी ऐसे मोड़ आ ही जाते हैं जब जमी हुई नदी के रूप में कोई बड़ी बाधा या Challenge हमारे सामने आ जाता है। और ऐसे में हमें कोई निश्चय करना होता है। तब क्या हम खतरा उठाने का निश्चय लेते हैं और तमाम मुश्किलों, डर, और असफलता के भय के बावजूद नदी पार करते हैं? या हम Safe रहने के लिए वहीँ खड़े रह जाते हैं जहाँ हम सालों से खड़े थे?
जहाँ तक दुनिया के सफल लोगों का सवाल है वे रिस्क लेते हैं…अगर आप नहीं लेते तो हो सकता है आज आप बिलकुल सुरक्षित हों आपके शरीर पर एक भी घाव ना हों…लेकिन जब आप अपने भीतर झाकेंगे तो आपको अपने अन्दर ज़रूर कुछ ऐसे ज़ख्म दिख जायेंगे जो आपके द्वारा अपने सपनो को के लिए कोई प्रयास ना करने के कारण आज भी हरे होंगे।
Friends, पंछी सबसे ज्यादा सुरक्षित एक पिंजड़े में होता है…लेकिन क्या वो इसलिए बना है? या फिर वो आकश की ऊँचाइयों को चूमने और आज़ाद घूमने के लिए दुनिया में आया है? फैसला आपका है…आप पिंजड़े का पंछी बनना चाहते हैं या खुले आकाश का?
सदैव प्रसन्न रहिये। जो प्राप्त है-पर्याप्त है।
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