रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं ? Rakshabandhan kyo manate hai ? 2022
नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम लेकर आये है Rakshabandhan kyo manate hai सवाल का जवाब | इस लेख में Rakshabandhan kyo manate hai के बारे में आपको पूरी जानकारी दी जाएगी | दोस्तों जैसा की हम जानते है सावन माह में आने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है रक्षाबंधन
रक्षाबंधन का अर्थ है एक ऐसा बंधन जो की रक्षा प्रदान करता हो । रक्षाबंधन दो शब्दों के मेल से बना है- रक्षा और बंधन । रक्षाबंधन में रक्षा का मतलब है रक्षा प्रदान करना और बंधन का मतलब है एक डोर जो रक्षा प्रदान करे ।
रक्षाबंधन के दोनों शब्द भाई बहन का प्रतिक हैं ।रक्षाबधन का त्यौहार न केवल खून के रिश्ते को ही नही बल्कि एक पवित्र रिश्ते को भी दर्शाता है। वही यह त्यौहार भाईयो को दर्शाता है की उन्हें हमेशा अपने बहनों की रक्षा करनी है । रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है जो पुरे घर में खुशिया लेके आती हैं ।
Rakshabandhan kyo manate hai । रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने का इतिहास क्या है ?
सभी के मन में अक्सर ये सवाल आता है की भाई -बहन का पवित्र त्यौहार जिसे लोग रक्षाबंधन के नाम से जानते है तो हम Rakshabandhan kyo manate hai । रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने का इतिहास क्या है ? । तो आज के इस लेख में हम आपको उन्ही बातो की जानकारी आपको बताने वाले हैं , जो रक्षाबंधन से जुडी है और भाई- बहन के प्यार को दिखाता है ।
रक्षाबंधन का त्यौहार इसलिए मनाया जाता हैं क्योकि एक भाई अपने बहन के प्रति सारे कर्तव्य को दर्शाता है यह त्यौहार सिर्फ सगे भाई-बहन ही नही बल्कि हर वो स्त्री पुरुष मना सकते है जो इस रिश्ते का सही अर्थ समझते हो ।
Rakshabandhan kyo manate hai के लेख में रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन बहन अपने भाई के कलाई में रखी बंधती है और भगवान से प्रार्थना करती है की उसका भाई हमेशा खुश रहे और अपने जीवन मे हमेशा कामयाबी हासिल करे और अपनी बहन का हमेशा रक्षा करे ।
वही उसका भाई तोहफे के रूप में उससे ये प्रतिज्ञा करता है की वह किसी भी परिस्थिति में अपनी बहन का साथ नहीं छोड़ेगा और हमेशा उसकी रक्षा करेगा । और साथ ही बहन भी अपने भाई की खुशियां और लम्बी उम्र में लिए भगवान से प्रार्थना करता है । रक्षाबंधन का त्यौहार कोई भी मना सकता है चाहे वे सगे भाई बहन हो या न हो। आज के इस लेख Rakshabandhan kyo manate hai के माध्यम से आपको समझ आ ही गया होगा की रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं ।
Rakshabandhan kyo manate hai 8 पौराणिक मान्यताये –
रक्षाबंधन यानि राखी का त्यौहार सभी लोग बड़े धूम-धाम से हर्षोल्लास के साथ मानते है। यह एक ऐसा त्यौहार हैं जिसे अमीर हो या गरीब सभी लोग मनाते है बाकि त्योहारों की तरह रक्षाबंधन के भी इतिहास है जो दन्त कथाओ में काफी लोकप्रिय है। इस लेख में हम आपको उन्ही इतिहास के बारे में बताने जा रहे है जो इस प्रकार है- ।
1. सम्राट Alexander और सम्राट पुरु की कहानी
राखी त्यौहार के सबसे पुरानी कहानी सन 300 BC में हुई थी. उस समय जब Alexander ने भारत जितने के लिए अपनी पूरी सेना के साथ यहाँ आया था. उस समय भारत में सम्राट पुरु का काफी बोलबाला था. जहाँ Alexander ने कभी किसी से भी नहीं हारा था उन्हें सम्राट पुरु के सेना से लढने में काफी दिक्कत हुई.
जब Alexander की पत्नी को रक्षाबंधन के बारे में पता चला तब उन्होंने सम्राट पुरु के लिए एक राखी भेजी थी जिससे की वो Alexander को जान से न मार दें. वहीँ पुरु ने भी अपनी बहन का कहना माना और Alexander पर हमला नहीं किया था.
2. रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ
रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ की कहानी का कुछ अलग ही महत्व है. ये उस समय की बात है जब राजपूतों को मुसलमान राजाओं से युद्ध करना पड़ रहा था अपनी राज्य को बचाने के लिए राखी उस समय भी प्रचलित थी जिसमें भाई अपने बहनों की रक्षा करता है. उस समय चित्तोड़ की रानी कर्णावती हुआ करती थी वो एक विधवा रानी थी.
और ऐसे में गुजरात के सुल्तान बहादुर साह ने उनपर हमला कर दिया. ऐसे में रानी अपने राज्य को बचा सकने में असमर्थ होने लगी. इसपर उन्होंने एक राखी सम्राट हुमायूँ को भेजी उनकी रक्षा करने के लिए और हुमायूँ ने भी अपनी बहन की रक्षा के हेतु अपनी एक सेना की टुकड़ी चित्तौड भेज दिया. जिससे बाद में बहादुर साह के सेना को पीछे हटना पड़ा था |
3. इन्द्रदेव की कहानी
भविष्य पुराण में ये लिखा हुआ है की जब असुरों के राजा बाली ने देवताओं के ऊपर आक्रमण किया था तब देवताओं के राजा इंद्र को काफी क्षति पहुंची थी |
इस अवस्था को देखकर इंद्र की पत्नी शची से रहा नहीं गया और वो विष्णु जी के करीब गयी इसका समाधान प्राप्त करने के लिए. तब प्रभु विष्णु ने एक धागा शची को प्रदान किया और कहा की वो इस धागे को जाकर अपने पति के कलाई पर बांध दें और जब उन्होंने ऐसा किया तब इंद्र के हाथों राजा बलि की पराजय हुई |
इसलिए पुराने समय में युद्ध में जाने से पूर्व राजा और उनके सैनिकों के हाथों में उनकी पत्नी और बहनें राखी बांधा करती थी जिससे वो सकुशल घर जीत कर लौट सकें.
4. माता लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी
असुर सम्राट बलि एक बहुत ही बड़ा भक्त था भगवान विष्णु का बलि की इतनी ज्यादा भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने बलि के राज्य की रक्षा स्वयं करनी शुरू कर दी. ऐसे में माता लक्ष्मी इस चीज़ से परेशान होने लगी. क्यूंकि विष्णु जी अब और वैकुंठ पर नहीं रहते थे |
अब लक्ष्मी जी ने एक ब्राह्मण औरत का रूप लेकर बलि के महल में रहने लगी. वहीँ बाद में उन्होंने बलि के हाथों में राखी भी बांध दी और बदले में उनसे कुछ देने को कहा. अब बलि को ये नहीं पता था की वो औरत और कोई नहीं माता लक्ष्मी है इसलिए उन्होंने उसे कुछ भी मांगने का अवसर दिया.
इसपर माता ने बलि से विष्णु जी को उनके साथ वापस वैकुंठ लौट जाने का आग्रह किया. इसपर चूँकि बलि से पहले ही देने का वादा कर दिया था इसलिए उन्हें भगवान विष्णु को वापस लौटना पड़ा. इसलिए राखी को बहुत से जगहों में बलेव्हा भी कहा जाता है |
5. कृष्ण और द्रौपधी की कहानी
लोगों की रक्षा करने के लिए Lord Krishna को दुष्ट राजा शिशुपाल को मारना पड़ा. इस युद्ध के दौरान कृष्ण जी की अंगूठी में गहरी चोट आई थी. जिसे देखकर द्रौपधी ने अपने वस्त्र का उपयोग कर उनकी खून बहने को रोक दिया था.
भगवान कृष्ण को द्रौपधी की इस कार्य से काफी प्रसन्नता हुई और उन्होंने उनके साथ एक भाई बहन का रिश्ता निभाया. वहीं उन्होंने उनसे ये भी वादा किया की समय आने पर वो उनका जरुर से मदद करेंगे.
बहुत वर्षों बाद जब द्रौपधी को कुरु सभा में जुए के खेल में हारना पड़ा तब कौरवों के राजकुमार दुसासन ने द्रौपधी का चिर हरण करने लगा. इसपर कृष्ण ने द्रौपधी की रक्षा करी थी और उनकी लाज बचायी थी |
6. महाभारत में राखी
भगवान कृष्ण ने युधिस्तिर को ये सलाह दी की महाभारत के लड़ाई में खुद को और अपने सेना को बचाने के लिए उन्हें राखी का जरुर से उपयोग करना चाहिए युद्ध में जाने से पहले. इस पर माता कुंती ने अपने नाती के हाथों में राखी बांधी थी वहीँ द्रौपधी ने कृष्ण के हाथो पर राखी बांधा था.
7. संतोधी माँ की कहानी
भगवान गणेश के दोनों पुत्र शुभ और लाभ इस बात को लेकर परेशान थे की उनकी कोई बहन नहीं है. इसलिए उन्होंने अपने पिता को एक बहन लाने के लिए जिद की. इस पर नारद जी के हस्तक्षेप करने पर बाध्य होकर भगवान् गणेश को संतोषी माता को उत्पन्न करना पड़ा अपने शक्ति का उपयोग कर वहीँ ये मौका रक्षाबंधन ही था जब दोनों भाईओं को उनकी बहन प्राप्त हुई |
8. यम और यमुना की कहानी
एक लोककथा के अनुसार मृत्यु के देवता यम ने करीब 12 वर्षों तक अपने बहन यमुना के पास नहीं गए, इसपर यमुना को काफी दुःख पहुंची |
बाद में गंगा माता के परामर्श पर यम जी ने अपने बहन के पास जाने का निश्चय किया. अपने भाई के आने से यमुना को काफी खुशी प्राप्त हुई और उन्होंने यम भाई का काफी ख्याल रखा.
इसपर यम काफी प्रसन्न हो गए और कहा की यमुना तुम्हे क्या चाहिए. जिसपर उन्होंने कहा की मुझे आपसे बार बार मिलना है. जिसपर यम ने उनकी इच्छा को पूर्ण भी कर दिया. इससे यमुना हमेशा के लिए अमर हो गयी.
Rakshabandhan kyo manate hai इस लेख में उपर हमने जाना रक्षाबंधन से जुडी पौराणिक कथाओ का इतिहास जो बहुत अच्छी है आगे इस आर्टिकल में हम जानने वाले है –भारत के अन्य धर्मो में रक्षाबंधन का त्यौहार किस तरह से मनाते हैं
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रक्षाबंधन कहानिया – CLICK HERE (PDF )
रक्षाबंधन बधाई – CLICK HERE (PDF )
रक्षाबंधन कैसे मानते है – CLICK HERE (PDF )
रक्षाबंधन क्यों मानते है – CLICK HERE (PDF )
भारत के दुसरे धर्मों में रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?
हिंदू धर्म में – यह त्यौहार हिंदू धर्म में काफी हर्ष एवं उल्लाश के साथ मनाया जाता है. वहीँ इसे भारत के उत्तरी प्रान्त और पश्चिमी प्रान्तों में ज्यादा मनाया जाता है. इसके अलावा भी दुसरे देशों में भी इसे मनाया जाता है जैसे की नेपाल, पाकिस्तान, मॉरिशस में भी मनाया जाता है.
जैन धर्म में – जैन धर्म में उनके जैन पंडित भक्तों को पवित्र धागा प्रदान करते हैं.
सिख धर्म में – सिख धर्म में भी इसे भाई और बहन के बीच मनाया जाता है. वहीँ इसे राखाडी या राखरी कहा जाता है |
भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह त्यौहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है. इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बंधन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं.
इस लेख में उपर हमने जाना अन्य धर्मो में किस प्रकार मनायी जाती है रक्षाबंधन –
और आगे हम जानेंगे रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता हैं-
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता हैं या कैसे मनाये
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता हैं या कैसे मनाये ?
अगर असल मायने में इसे मनाना हैं तो इसमें से सबसे पहले लेन देन का व्यवहार खत्म करना चाहिये. साथ ही बहनों को अपने भाई को हर एक नारी की इज्जत करे, यह सीख देनी चाहिये. जरुरी हैं कि व्यवहारिक ज्ञान और परम्परा बढे तब ही समाज ऐसे गंदे अपराधो से दूर हो सकेगा.
रक्षाबंधन का यह त्यौहार मनाना हम सभी के हाथ में हैं और आज के युवावर्ग को इस दिशा में पहला कदम रखने की जरुरत हैं. इसे एक व्यापार ना बनाकर एक त्यौहार ही रहने दे. जरूरत के मुताबिक अपनी बहन की मदद करना सही हैं लेकिन बहन को भी सोचने की जरुरत हैं कि गिफ्ट या पैसे पर ही प्यार नहीं टिका हैं. जब यह त्यौहार इन सबके उपर आयेगा तो इसकी सुन्दरता और भी अधिक निखर जायेगी |
कई जगह पर पत्नी अपने पति को राखी बांधती हैं. पति अपनी पत्नी को रक्षा का वचन देता हैं. सही मायने में यह त्यौहार नारी के प्रति रक्षा की भावना को बढ़ाने के लिए बनाया गया हैं. समाज में नारी की स्थिती बहुत गंभीर हैं क्यूंकि यह त्यौहार अपने मूल अस्तित्व से दूर हटता जा रहा हैं |
जरुरत हैं इस त्यौहार के सही मायने को समझे और अपने आस-पास के सभी लोगो को समझायें. अपने बच्चो को इस लेन देन से हटकर इस त्यौहार की परम्परा समझायें तब ही आगे जाकर यह त्यौहार अपने ऐतिहासिक मूल को प्राप्त कर सकेगा |
आज के इस लेख Rakshabandhan kyo manate hai में हमने जाना की राखी यानि रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है, रक्षाबंधन का इतिहास और रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है ।
उम्मीद है की उपर दी गई Rakshabandhan kyo manate hai लेख से जुड़ी सभी जानकारी आपको जरुर पसंद आयगी । यदि आपको हमारी यह लेख Rakshabandhan kyo manate hai पसंद आई है तो इसे आप Rakshabandhan kyo manate hai सवाल के जवाब को अपने दोस्तो के साथ जरुर शेयर कर सकते है |
“धन्यवाद्”
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