आखरी प्रयास की कहानी | Short motivational story-in-hindi

एक आखिरी प्रयास 

एक राज्य में एक प्रतापी और बेहद ही तेजस्वी राजा राज करता था. एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी मेहमान आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर अपनी दोस्ती की निशानी के रूप में उपहार स्वरूप प्रदान किया.

राजा वह पत्थर देख बहुत खुश हुए उसने उस पत्थर से भगवान श्री हरी की एक प्रतिमा का निर्माण कर उसे राज्य के प्रमुख मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्य के महामंत्री को सौंप दिया.

महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान श्री हरी की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं. तीन दिन के भीतर इस पत्थर से भगवान श्री हरी की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुँचा देना. इसके लिए तुम्हें 100 सोने के सिक्के दी जायेंगी.”

100 सोने के सिक्के की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के तुरंत बाद प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए. अपने औज़ारों में से उसने एक हथौड़ा लिया और पत्थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़े से जोर जोर से वार करने लगा. किंतु पत्थर जैसा का तैसा रखा रहा. मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्थर पर किये. किंतु पत्थर नहीं टूटा.

 

पचास से ज्यादा बार प्रयास करने के उपरांत मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया, किंतु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हथौड़ा वापस खीच लिया जब पचास से ज्यादा बार वार करने से पत्थर नहीं टूटा, तो अब क्या टूटेगा.

वह पत्थर लेकर वापस महामंत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर आया कि इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है. इसलिए इससे भगवान श्री हरी की प्रतिमा नहीं बन सकती.

महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था. इसलिए उसने भगवान श्री हरी की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया. पत्थर लेकर मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही उस पर हथौड़े से प्रहार किया और वह पत्थर एक बार में ही टूट गया.

पत्थर टूटने के बाद मूर्तिकार प्रतिमा बनाने में जुट गया. दूसरी ओर पहला मूर्तिकार जो मन ही मन सोच रहा था की काश मैंने वह आखिरी प्रयास कर लिया होता !!

सीख – हम भी अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होते रहते हैं. कई बार किसी कार्य को करने के पूर्व या किसी समस्या के सामने आने पर उसका निराकरण करने के पूर्व ही हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है और हम प्रयास किये बिना ही हार मान लेते हैं. कई बार हम एक-दो प्रयास में असफलता मिलने पर आगे प्रयास करना छोड़ देते हैं. जबकि हो सकता है कि कुछ प्रयास और करने पर कार्य पूर्ण हो जाता या समस्या का समाधान हो जाता. यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है, तो बार-बार असफ़ल होने पर भी तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिये, जब तक सफ़लता नहीं मिल जाती. क्या पता, जिस प्रयास को करने के पूर्व हम हाथ खींच ले, वही हमारा अंतिम प्रयास हो और उसमें हमें कामयाबी प्राप्त हो जाये.

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