Stories of Lord Buddha आम्रपाली और महात्मा बुद्ध (कहानी)

Inspirational Stories of Lord Buddha : भगवान बुद्ध की प्रेरक कहानियां

Stories of Lord Buddha
Stories of Lord Buddha

आज एक और नयी प्रेरक और ज्ञानवर्धक भगवान बुद्ध की लेकर आये हैं दोस्तों गौतम बुद्ध (563 ईसा पूर्व–483 ईसा पूर्व) को महात्मा बुद्ध, भगवान बुद्ध, सिद्धार्थ व शाक्यमुनि नाम से भी जाना जाता है ।

आज के भगवान बुद्ध की प्रेरक कहानी के का टॉपिक – आम्रपाली और महात्मा बुद्ध (कहानी)
कहानी छोटी हैं मगर बहुत कुछ सिखा सकती हैं इसलिए आशा करते हाँ आप इसे पूरा जरुर पढेंगे तो चलिए अब शुरू करते हैं इस बेहतरीन कहानी को –

Stories of Lord Buddha (गौतम बुद्ध की कहानियां)

आम्रपाली बौद्ध काल में वैशाली के वृज्जिसंघ की इतिहास प्रसिद्ध लिच्छवि राजनृत्यांगना थी। इनका एक नाम ‘अम्बपाली’ या ‘अम्बपालिका’ भी है। आम्रपाली अत्यन्त सुन्दर थी और कहते हैं जो भी उसे एक बार देख लेता वह उसपर मुग्ध हो जाता था। अजातशत्रु उसके प्रेमियों में था और उस समय के उपलब्ध सहित्य में अजातशत्रु के पिता बिंबसार को भी गुप्त रूप से उसका प्रणयार्थी बताया गया है। आम्रपाली को लेकर भारतीय भाषाओं में बहुत से काव्य, नाटक और उपन्यास लिखे गए हैं।

एक बार कि बात है, महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ घूमते हुए वैशाली नगरी में पहुंचे। वैशाली को उस समय सोलह महाजनपदों में एक महत्वपूर्ण जनपद माना जाता था, जिसकी ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी । यह नगरी परम वैभवशाली और हर तरफ से संपन्न थी ।

महात्मा बुद्ध के आने की बात पूरे नगर में फैलते देर न लगी । जिसे जब पता चलता वह तभी उनसे मिलने पहुंच जाता और उनके उपदेश सुनकर खुद को भाग्यशाली समझता। बुद्ध का चरित्र ही ऐसा प्रभावशाली था कि उनसे प्रभावित हुए बिना कोई नहीं रह सका । उस नगर की गणिका और राजनर्तकी “आम्रपाली” भी बुद्ध से मिलने की इच्छुक थी । वह खुद महात्मा बुद्ध के पास चलकर आई और उन्हें अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया । उसने इतने सरल और प्रेम भाव से बुद्ध से विनती की कि बुद्ध मना नहीं कर सके । जब यह बात उनके शिष्यों को पता चला कि महात्मा बुद्ध ने एक गणिका का आमंत्रण स्वीकार किया है तो सबने इसका विरोध किया ।

महात्मा बुद्ध ने बड़ी सरलता से अपने शिष्यों से कहा- ‘मैंने तो उसकी प्रेम – भावना देखी । उसने जिस भावना से मुझे बुलाया है वह बिलकुल पवित्र और निश्छल था । वह आज मुझसे मिलने एक गणिका बनकर नही बल्कि एक भक्ति – भाव से आई थी , फिर भला मैं कैसे उसका आमंत्रण स्वीकार न करता? वह चाहे एक वेश्या हो या फिर कोई सन्यासी ।’

यथासमय बुद्ध आम्रपाली के घर भोजन के लिए गए । वह पहले से ही भोजन की सारी व्यवस्था करके , भगवान बुद्ध के आने की राह देख रही थी । मन में यह विचार भी आ रहा था कि कहीं बुद्ध अपनी बात से मुकर न जाए। इतने बड़े सन्यासी भला क्यों एक वेश्या के बुलाने पर उसके घर आकर भोजन करेंगे। परंतु जैसे ही आम्रपाली ने बुद्ध को अपने घर आते देखा, उसकी प्रसन्नता का ठिकाना न रहा । वह दौड़ कर दरवाजे पर गई और उनका स्वागत किया ।

खुद अपने हाथों से भोजन परोसा और उनकी आवभगत की । महात्मा बुद्ध के शिष्यों ने जो उनके साथ आए थे जब एक वेश्या को , जिसके कदमों में खुद सम्राट बिबंसार से लेकर अजातशत्रु थे । पूरी वैशाली जिसके एक झलक पाने के लिए तरसती थी, उसे एक सन्यासी के लिए ऐसा व्यवहार करते देख बुद्ध के शिष्यों के मन में अपने गुरु के लिए सम्मान ओर ज्यादा बढ़ गया ।

आम्रपाली ने महात्मा बुद्ध के व्यक्तित्व के बारे में जैसा सुना था, उनसे मिलने के बाद वह उनसे उससे ज्यादा प्रभावित हुई और उसी समय वह बुद्ध की शरण में चली गई । अपनी सारी संपत्ति वह बौद्ध -मठ के नाम करके आजीवन भिक्षुणी बन गई ।

गौतम बुद्ध की कहानियां (Stories of Lord Buddha)

भगवान बुद्ध की इस प्रेरक कहानि को मैंने बचपन में सुना था इसलिए आज इसे मैंने आप लोगो के साथ शेयर किया हैं | आशा करता हु की आपको यह कहानी पसंद आई होगी |

गौतम बुद्ध की कहानियां (buddh stories in hindi) की इस पोस्ट में महात्मा गौतम बुद्ध से सम्बन्धित 7 प्रेरक और शिक्षाप्रद कहानियां हैं, जिसका सार जिंदगी का बदल सकता हैं |

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