संघर्ष ही जीवन है !! संघर्ष ही जीवन है पर कहानी
कई बार ऐसा होता है कि हम अपने रोजमर्रा के जीवन स्व तंग आ जाते है और हमे कुछ ठीक नही लगता , ऐसा लगने लगता है जैसे हम किसी चीज से घिरे हुए है !!
दोस्तो परेशानी तो हमारे जीवन का अमूमन एक हिस्सा है , जो कि मृत्यु के साथ ही खत्म होने वाली है! तो ऐसे में परेशानियों से निपटने के लिये हम क्या कर सकते है , आइये जानते है इसे एक छोटे से कहानी के जरिये –
संघर्ष ही जीवन है पर कहानी – Motivational Story in Hindi
एक पिता अपनी बेटी के साथ उसके घर में रहता था। दोनों ही एक दूसरे को बहुत सम्मान व प्यार देते थे और बहुत मिलजुलकर साथ रहते थे। एक दिन बेटी अपने पिता से शिकायत करने लगी कि उसकी ज़िन्दगी बहुत ही उलझी हुई है। बेटी आगे कहने लगी “मैं जितना सुलझाने की कोशिश करती हूँ जीवन उतना ही और उलझ जाता है, पापा! सच में मैं बहुत थक गयी हूँ अपने जीवन से लड़ते-लड़ते। जैसे ही कोई एक समस्या खत्म होती है तो तुरंत दूसरी समस्या जीवन में दस्तक दे चुकी होती है। कब तक अपने आप से और इन समस्याओं से लड़ती रहूंगी।” बेटी की बातें सुनकर पिता को लगा वह काफी परेशान हो गई है।
सारी बातें ध्यान से सुनकर पिता ने कहा मेरे साथ रसोई में आओ। पिता कि आज्ञानुसार बेटी अपने पिता के साथ रसोई में खड़ी हो गई। उसके पिता ने कुछ कहे बिना तीन बर्तनों को पानी सहित अलग-अलग चुल्हों पर उबालने रख दिया। एक बर्तन में आलू, एक में अण्डे और एक में कॉफी के दाने डाल दिए और चुपचाप बिना कुछ कहे बैठ के बरतनों को देखने लगे।
20-30 मिनट पश्चात पिता ने चुल्हे बंद कर दिए। अलग-अलग प्लेट में आलू व अण्डे और एक कप में कॉफ़ी निकालकर रख दी। फिर अपनी बेटी की ओर मुड़कर पूछा – बेटी तुमने क्या देखा?
बेटी ने हंसकर जवाब दिया – आलू, अण्डे और कॉफ़ी। पिता ने कहा – जरा नज़दीक से छूकर देखो फिर बताओ तुमने क्या देखा? बेटी ने आलू को छूकर देखा तो महसूस किया कि वो बहुत ही नरम हो चुके थे। पिता ने अपनी बात दोहराई और कहा – अब अंडे को छीलकर देखो। बेटी ने वैसा ही किया और देखा अंडे अंदर से सख्त हो चुके थे। अंत में पिता ने कॉफ़ी का कप पकड़ाते हुए कहा अब इसे पियो। कॉफ़ी की इतनी अच्छी महक से उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई और वह कॉफी पीने लगी। फिर उसने बड़े उत्सुकता के साथ अपने पिता से पूछा – पापा इन सब चीज़ों का क्या मतलब है। आप मुझे क्या समझाना चाहते है?
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बेटी की उत्सुकता को शांत करने के लिए पिता ने समझाया – आलू, अण्डे और कॉफ़ी तीनो एक ही अवस्था से गुजरे थे। तीनों को एक ही विधि से उबाला गया था। परन्तु जब इन चीज़ों को बाहर निकाला गया तो तीनों की प्रतिक्रिया अलग-अलग थी। जब हमने आलू को उबालने रखा था तो वह बहुत सख्त था परन्तु उबालने के बाद वो नरम हो गया। जब अण्डे को उबलने रखा था तब वह अन्दर से पानी की तरह तरल था परन्तु उबालते ही सख्त हो गया। उसी तरह जब कॉफ़ी के दानों को उबालने रखा तब वह सारे दाने अलग-अलग थे मगर उबालते ही सब आपस में घुल-मिल गए और पानी को भी अपने रंग में रंग दिया।
बेटी! ठीक इसी तरह जीवन में भी अलग-अलग परिस्थितियां आती रहती है। तब इंसान को खुद ही फैसला लेना होता है कि उसे किस परिस्थिति को कैसे सम्भालना है। कभी नरम होकर, तो कभी सख़्त होकर और कभी-कभी सब के साथ घुल-मिलकर।
उम्मीद है आपने इस छोटी सी कहानी से बहुत कुछ सिखा होगा अगर आपको कहानी पसंद आई हो और कुछ सिखने को मिला हो तो इसे अपनों को जरूर शेयर करे धन्यवाद “ आत्ममंथन “