स्कूल में पढाई उन्होंने आठवी तक की, उसके बाद उन्होंने अलग – अलग गुरुकुल और गुरुओं के आश्रम में जाकर घर्म, वेद, ग्रंथों, योग और साहित्य के बारे में गहन चिंतन किया