कर्मवीर मनुष्य ही अपनी पहचान बनाते हैं, जो कर्म नहीं करते वो विलुप्त हो जाते हैं।
तू करता वही है जो तू चाहता है, फिर होता वही है जो मैं चाहता हूं। तू वही कर जो मैं चाहता हूं, फिर होगा वही जो तू चाहता है।
जिस व्यक्ति को कोई लगाव नहीं है वह वास्तव में दूसरों से प्यार कर सकता है, क्योंकि उसका प्यार शुद्ध और दिव्य है।
जो कुछ करना है करो, लोभ से नहीं, अहंकार से नहीं, वासना से नहीं, ईर्ष्या से नहीं, प्रेम, करुणा, नम्रता और भक्ति से करो।