Women Warriors of India
भारत की आजादी के लिए न केवल महान क्रन्तिकारी महापुरुषों ने बलिदान दी बल्कि इस आजादी की लड़ाई में लड़ने वाली कई महान के क्रांतिकारी महिलाओं ( Women Warriors of India )
का भी योगदान रहा हैं. जिनके बारे मे आज अधिकतर लोग जानते ही नहीं हैं. तो आज के इस आर्टिकल में हम कुछ महान महिला क्रान्तिकारियो के बारे में जानेंगे जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सबकुछ नौछावर कर दिया.
अब्बक्का रानी (Abbaka Rani):-
चौटा वंश की रानी अब्बक्का ने मैंगलोर से 8 किमी दूर उल्लाल नामक एक छोटे से तटीय शहर पर श सन किया। उनके शासनकाल के दौरान, पुर्तगाली तटीय शहर को जीतना चाहते थे और इसे एक ब दरगाह के रूप में इस्तेमाल करना चाहते थे। लेकिन रानी अब्बक्का ने निडर होकर पुर्तगालियों के खिलाफ जमकर विरोध किया और जमकर लड़ाई लड़ी।
माता भाग कौर (Mata Bhag kaur):-
माई भागो एक महान योद्धा थीं। इन्होंने 1705 में मुक्तसर की लड़ाई में 10,000 मजबूत मुगल सेनाओं के खिलाफ 40 सिख योद्धाओं के एक समूह का नेतृत्व किया। उन्होंने महाराष्ट्र में निर्वासन के दौरान गुरु गोबिंद सिंह के अंगरक्षक के रूप में भी काम किया।
मातंगिनी हाजरा (Matangini hajara):-
मातंगिनी हाजरा को गांधी बरी के नाम से जाना जाता था। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन और असहयोग आंदोलन में भाग लिया। एक जुलूस के दौरान, वह तीन बार गोली मारे जाने के बाद भी भारतीय ध्वज के साथ नेतृत्व करती रहीं।
कनकलता बरुआ (Kanklta Barua):- ( Women Warriors in India )
कनकलता बरुआ को बीरबाला के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने 1942 में बरंगाबाड़ी में भारत छोड़ो आंदोलन में एक प्रमुख भाग लिया। वे अपने हाथ में राष्ट्रीय ध्वज के साथ महिला स्वयंसेवकों की पंक्ति की प्रमुख थीं। इस दौरान ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें कई गोली मारी और 18 साल की उम्र में उन्होंने देश के लिए बलिदान दे दिया।
मूलमती (Mulmati):-(Women Warriors of India)
मूलमती स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल की मां थीं, जिन्हें ब्रिटिश राज ने फांसी दी थी। मूलमती ने एक जनसभा में राम प्रसाद बिस्मिल की मृत्यु के बाद एक बहुत ही साहसिक कदम उठाया। उन्होंने अपने दूसरे बेटे को भी स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल करवा दिया।
केलाडी चेन्नम्मा (Keladi Chennamma):-
केलाडी चेन्नम्मा राजा सोमशेखर नायक से शादी करने के बाद केलाडी (कर्नाटक) की रानी बनीं। उन्होंने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और मुगल सम्राट औरंगजेब की सेना को हरा दिया। युद्ध के अंत में, केलाडी और मुगलों के बीच एक स धि पर हस्ताक्षर किए गए थे। केलाडी को एक अलग राज्य के रूप में मान्यता दी गई थी।
अरुणा आसफ अली (Aruna Aasaf Ali):-
अरुणा आसफ अली भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय राष्ट्रीय का ग्रेस का झंडा फहराने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन क ‘द ग्रैंड ओल्ड लेडी’ के रूप में लोकप्रिय हैं। उन्होंने नमक सत्याग्रह आंदोलन और अन्य विरोध म र्च में भाग लिया और उन्हें जेल में डाल दिया गया।
वेलु नचियारो (Velu Nachiyaro):-(Women Warriors of India )
शिवगंगा की रानी वेलु नचियार भारत में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाली पहली रानी थीं। वह पहली क्रांतिकारी बनीं, जिन्होंने सिपाही विद्रोह से पहले ही तमिलनाडु में अंग्रेजों के शासन का विरोध किया, जिसे भ ारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला युद्ध माना जाता है।
तो दोस्तों भारत की आजादी में अपना सर्वस्व कुर्बान करने वाली इन Women Warriors of India महान भारतीय नारियों के बारे में आपको जानकार आपको अच्छा लगा हो, क्योकि यह जानकारी अनोखी और अलग हैं. यदि आपको लगता हैं की यह जानकारी हर भारतीय को होनी चाहिए तो आपसे निवेदन हैं की भारत की आजादी के लिए लड़ने वाली महिलाओ से जुडी यह जानकारी सबतक जरूर शेयर करें. “धन्यवाद”